tag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post3913635517937338453..comments2023-05-19T20:45:40.603+05:30Comments on दृष्टिकोण: विवाह एक नैतिक बलात्कारदृष्टिकोणhttp://www.blogger.com/profile/04188505785072572983noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-24693336936281264822009-11-29T11:57:07.657+05:302009-11-29T11:57:07.657+05:30मटुक जूली जो भी किताब बेचने के लिए उपयुक्त तरीका म...मटुक जूली जो भी किताब बेचने के लिए उपयुक्त तरीका मिले अपना लो<br />साफ़ तौर पर जिसका चेहरा आपके प्रोडक्ट को बिकवा दे उसको बुला लो<br />विवादित को बुलवाओ सफलता चरण चूमेगी हजूर मटुक जूली के बहाने<br />उनने भी अपना काला रंग खपा लिया.बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-64198406036554449432009-11-29T11:35:51.863+05:302009-11-29T11:35:51.863+05:30आप ने एकदम सटीक बात नपे तुले अन्दाज में लिखी है । ...आप ने एकदम सटीक बात नपे तुले अन्दाज में लिखी है । मैं भाई रवि रतलामी जी की बात से पूरी तरह सहमत हूं । यह सस्ती मार्केटिंग स्ट्रेटजी है । इसमें ऐसे हालात जान बूझ कर बनाये जाते हैं जिससे हंगामा हो । हंगामा करवाने वाले पूरा इन्तजाम करते हैं । टी वी कैमरे बुलाये जाते हैं, हंगामा करने वाले भी बुलाये जाते हैं । पांच मिनट का तमाशा होता है और सब अपने अपने रास्ते चले जाते हैं । बाकी समय अपने घर बैठ कर चैनल बदल बदल कर पब्लीसिटी का आनन्द लिया जाता है । अब ब्लाग दुनिया भी इस झांसे से अछूती नही रही ।<br /><br />इस सस्ती पब्लीसिटी से बड़े-बड़े महारथी भी फ़ायदा उठा रहे हैं, जैसे शाहरुख खान ने अमेरिका में अपनी सुरक्षा जांच को लेकर किया था, जबकि वे इसके पहले कई बार अमेरिका बिना किसी परेशानी के जा चुके थे और उस घटना के बाद भी जा रहे हैं । वे तभी बचाव की मुद्रा में आये जब निगेटिव पब्लीसिटी होनी शुरू हुई कि वे यह सब अपनी फ़िल्म के प्रचार के लिये कर रहे हैं ।<br /><br /><br />इस तरह की चलाकी को पहचानने की ज़रूरत है और साथ ही ऐसे लोगों को फ़ायदा नही उठाने देना चाहिये, चाहे संस्कॄति की रक्षा करने वाले हों या स्वतन्त्र अभिव्यक्ति वाले ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-54742528718964018652009-11-29T11:18:22.703+05:302009-11-29T11:18:22.703+05:30ये लोग आदर्श प्रेमी के रूप में स्थापित हो रहे है ,...ये लोग आदर्श प्रेमी के रूप में स्थापित हो रहे है ,जो की गलत है <br />हंगामा न हुआ होता तो बिना विवाह के इनकी प्रेम लीला चल ही रही थी। अपने मनपसंद साथी को बेशक चुनिये, लेकिन अपने सामाजिक दायित्वों को कैसे भूल सकते हैं, आज इनके परिवार के लोगों पर क्या बीत रही होगी ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-70684588504896175842009-11-28T22:10:36.622+05:302009-11-28T22:10:36.622+05:30अच्छी तात्कालिक प्रतिक्रिया और विश्लेषण।
कुछ बिंदु...अच्छी तात्कालिक प्रतिक्रिया और विश्लेषण।<br />कुछ बिंदुओं पर बात आगे बढ़ाई जा सकती है, पर लगता है कि तात्कालिक परिदृष्य में वह व्यर्थ है। आपने कई बेहतरीन इशारे किए हैं और आम-चिंतन में हलचल के लिए दूसरे पहलू सामने रखें हैं।<br />अब इनकन्वियेंट भी एक महत्वपूर्ण इशारा कर गये हैं।समयhttp://main-samay-hoon.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-60721504268052262862009-11-28T21:19:53.241+05:302009-11-28T21:19:53.241+05:30प्रो. मटुकनाथ-जूली प्रकरण को इससे जोड़कर देखा जाना ...प्रो. मटुकनाथ-जूली प्रकरण को इससे जोड़कर देखा जाना भी जरूरी है। प्रेम के नाम पर बाप-बेटी की उम्र के जोड़े को यौनाचार की इजाज़त नहीं दी जा सकती क्योंकि इसमें कोई सामाजिक हित स्पष्ट नहीं होता। ऐसे रिश्ते कहीं ना कहीं परिवार की अवधारणा को प्रभावित करते हैं। परिवार से उच्चतर संस्था का आविर्भाव मानव समाज में अभी हुआ नहीं है। बेमेल प्रेम में कोई सुंदरता प्रतीत नहीं होती है।<br /><br />ठीक लिखा है आपने.....DIVINEPREACHINGShttps://www.blogger.com/profile/03244839554643566764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-73929526110748331432009-11-28T20:30:24.920+05:302009-11-28T20:30:24.920+05:30दो वयस्कों के बीच किसी भी सम्बन्ध में दखल देना कहा...दो वयस्कों के बीच किसी भी सम्बन्ध में दखल देना कहाँ की सभ्यता और संस्कृति है. वे जैसे रहना चाहें रहें, उनकी मर्ज़ी, इतने सारे गुंडे बदमाश, भष्टाचारी, निक्कमे नेता-अधिकारी, व्यभिचारी बाबा-पुजारी-पण्डे, ईश्वर के नाम पर लूटने वाले लोग तो शायद मटुक जुली से कम गंदगी फैला रहे हैं समाज में! <br /><br />पहले इन दोनों को रस्ते से हटाना ज़रूरी है, वर्ना देश डूब जायेगा. ये आतंकवादियों और माफिया से भी बड़ा खतरा हैंab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-80359795185569444602009-11-28T18:03:48.459+05:302009-11-28T18:03:48.459+05:30मारकेटिंग का यह अच्छा तरीका निकाला... हल्ला हुआ तो...मारकेटिंग का यह अच्छा तरीका निकाला... हल्ला हुआ तो अधिक प्रचार... अधिक प्रचार तो अधिक बिक्री..:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-6123770605811523412009-11-28T17:03:49.179+05:302009-11-28T17:03:49.179+05:30एक बहुत ही सधा हुआ लेख। इस विषय पर सुबह से बहुत कु...एक बहुत ही सधा हुआ लेख। इस विषय पर सुबह से बहुत कुछ पढ़ा लेकिन, इतना सटीक और नपा तुला किसी ने नहीं लिखा।Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-34997462825781213542009-11-28T15:22:22.793+05:302009-11-28T15:22:22.793+05:30भाई रवि रतलामी की बात से पूरी तरह से सहमत। ऐसे गुर...भाई रवि रतलामी की बात से पूरी तरह से सहमत। ऐसे गुरुओं पर कभी कभी जनता गरु(भारी)पड़ जाती है।<br />डॉ महेश परिमलhttp://dr-mahesh-parimal.blogspot.com/https://www.blogger.com/profile/13946542623528118041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-41325079844338975202009-11-28T14:48:06.389+05:302009-11-28T14:48:06.389+05:30यह ऋषि अजयनाथ की मार्केटिंग का प्रहसन था। इस प्रहस...यह ऋषि अजयनाथ की मार्केटिंग का प्रहसन था। इस प्रहसन के पात्र थे। मटुकनाथ-जूली, भारतीय संस्कृति के भोपाली रक्षक, पुलिस और मीडिया। प्रहसन सफल रहा। बाद में ब्लाग जगत भी उस में जा जुड़ा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-35715951454139522862009-11-28T13:33:08.844+05:302009-11-28T13:33:08.844+05:30रवि रतलामी जी की बात सही लगती है ।रवि रतलामी जी की बात सही लगती है ।अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-5330926405614173602009-11-28T12:14:26.150+05:302009-11-28T12:14:26.150+05:30भोपाल की सड़कों पर इसके बड़े और बोल्ड होर्डिंग देख...भोपाल की सड़कों पर इसके बड़े और बोल्ड होर्डिंग देख कर लगा कि किताब के लिए ऐसी जबरदस्त मार्केटिंग... और आज यह समाचार जान कर लगता नहीं कि ये किताब को हिट कराने का कोई नुस्ख़ा हो???रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com