tag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post5072862826706810289..comments2023-05-19T20:45:40.603+05:30Comments on दृष्टिकोण: कामरेड बसु केसरिया सलामदृष्टिकोणhttp://www.blogger.com/profile/04188505785072572983noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-58621077671345280612010-03-23T13:26:50.544+05:302010-03-23T13:26:50.544+05:30किसी देश के वस्तुगत हालात आपको मजबूर कर सकते हैं क...किसी देश के वस्तुगत हालात आपको मजबूर कर सकते हैं कि विपर्यय के दौर में रणकौशलात्मक (tectics ) तौर पर आप ससंद का प्रयोग करें. भले ही आप के सांसदों की संख्या कम हो लेकिन अगर आपके पास एक बोलेश्विक चरित्र की कम्युनिस्ट पार्टी है तो संसद का प्रयोग आप अपनी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए कर सकते हैं. इसका अर्थ यह नहीं होता है कि आपने सिद्धांतों से समझौता किया है. लेकिन रणकौशल और सिद्धांत आपसे में तब गढ़मढ़ हो जाते हैं जब आपकी नियत में खोट होता है. क्रांति आपके एजेंडा पर नहींहोती. समय पाकर आपका रणकौशल ही सिद्धांत बन जाता है जिसे न्यायोचित सिद्ध करने के लिए आप कोई कसर नहीं छोड़ते.<br /><br />एक खबर के अनुसार सीपीएम के लाखों कार्यकर्त्ताओं ने इस बार अपनी सदस्यता का नवीनीकरण नहीं करवाया है. अंदाज़ा लगाये उस पार्टी की दशा का जिसके सदस्यों की संख्या लाखों में हो. इस प्रकार की पार्टी की तुलना बोलेश्विक चरित्र की किसी सच्ची कम्युनिस्ट पार्टी जिसके सदस्यों की संख्या बेशक कुछ हज़ार का आंकड़ा न पर कर पाए, से करना बेमानी होगा.<br /><br />सीपीएम जैसी कुटील संशोधनवादी पार्टी अपनी कतारों को संसद को रणकौशलात्मक (tectics ) के तौर पर इस्तेमाल करने का सबक सिखाती रही है. जबकि निकला यह है कि कतारों का वह भाग जो क्रांतिकारी और ईमानदार था, समयपाकर अपने विपरीत सोशल फासिस्टों की फ़ौज में बदल गया है. अवसर मिलने की देर होती है कि चीजें अपने विपरीत में बदलने के लिए अभिशप्त होती हैं.<br /><br />ज्योति बासु क्या थे और उन्हें सम्मान कितना और किससे मिलना चाहिए, जैसे प्रश्नों का उत्तर तो सर्वहारा वर्ग की विरोधी पार्टियों और लोगों ने दे ही दिया है. जहाँ तक पार्टी और विचारधारा से काटकर किसी व्यक्ति विशेष के प्रति सम्मान का संबंध है तो एक व्यक्ति के हिस्से में ऐसा कुछ बचता ही क्या है जो सम्मानीय हो ?जगसीरhttp://khvahishen.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-32713130184288079232010-01-19T12:00:37.092+05:302010-01-19T12:00:37.092+05:30प्रिय बन्धु
आप मार्क्स, एंगेल, स्टालिन,माओ को सम्म...प्रिय बन्धु<br />आप मार्क्स, एंगेल, स्टालिन,माओ को सम्मान देकर बताये. व्यक्ति की पहचान उसकी विचारधारा की शुद्धता से होती है. सूडो मार्क्सवादी को पूंजीपति ही सम्मान दे सकते है सर्वहारा वर्ग नहीं.<br /><br />दृष्टिकोणदृष्टिकोणhttps://www.blogger.com/profile/04188505785072572983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-5772536250190589922010-01-19T11:35:36.417+05:302010-01-19T11:35:36.417+05:30अगर आप वाद से उपर उठ कर व्यक्ति को सम्मान देना सीख...अगर आप वाद से उपर उठ कर व्यक्ति को सम्मान देना सीख लें तो आपको आश्चर्य नहीं होगा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464203524177689100.post-21945405489887824302010-01-18T23:55:24.549+05:302010-01-18T23:55:24.549+05:30बहुत तीखी आलोचना। लेकिन बहुत सही भी।बहुत तीखी आलोचना। लेकिन बहुत सही भी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com