भोपाल के गैस पीड़ितों ने उनके साथ हुई नाइन्साफी के लिए इन लोगों को जिम्मेदार ठहराया है
(फोटो दैनिक भास्कर से साभार)
क्या क्या हुआः-
-घनी आबादी के बीच में अमानक स्तर का कारखाना चलाने देने, और खतरनाक, पाबंदी वाले उत्पादनों का कारोबार बेराकटोक चलते रहने देने के लिए आज तक किसी को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास राज्य और केन्द्र सरकार की तरफ से नहीं हुआ।जबकि इस मामले में दोषी औ?ोगिक इन्सपेक्टर से लेकर तत्काली मुख्यमंत्री तक सबको कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।
-हादसे के बाद गैस पीड़ितों की किसी भी प्रकार की कानूनी लड़ाई को लड़ने का अधिकार अपने हाथ में लेकर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने गैस पीड़ितों के हाथ काट दिए।
- गैस त्रासदी की विभिषिका को वास्तविकता से बेहद कम आंका जाकर अदालत के सामने प्रस्तुत किया गया।ताकि यूनीयन कार्बाइड सस्ते में छूटे।
-मरने वालों और प्रभावितों की संख्या को काफी कम दिखाया गया।ताकि यूनीयन कार्बाइड को कम से कम आर्थिक नुकसान हो।
-गैस के ज़रिए फैले ज़हर के बारे में जानकारियाँ छुपा कर रखी गई, कारण गैसपीड़ितों के शरीर पर पडने वाले दूरगामी परिणामों संबंधी समस्त शोधों को छुपाकर रखा गया ताकि यूनीयन कार्बाइड को लाभ पहुँचे।
-हादसे के बाद दोषियों को बचाने की भरपूर कोशिश की गई।जिसमें एंडरसन को बचाने का अपराध तो जगजाहिर हो गया है।
भोपाल की आम जनता को मुआवज़ा और राहत के जंजाल में फंसाकर वास्तविक समस्याओं से उनका ध्यान हटाया गया और इसमें दलाल किस्म के संगठनों ने विदेशी पैसों के दम पर अपनी भूमिका निभाई।
-अब भी जब बेहद कम सज़ा पाने के कारण देश-दुनिया में नाराज़गी है चारों ओर घड़ियाली आँसू बहाए जा रहे है, समितियाँ बन रहीं है।इसमें मीड़िया और प्रेस भी शामिल है जिसने 26 सालों तक इस मामलें को जनता की स्मृति से धोने का काम किया।
-आगे और लम्बे समय तक एक और मुकदमें में मामले को ले जाने के कोशिशें हो रहीं हैं, ताकि तब तक तमाम दोषी मर-खप जाएँ और मामला शांत हो जाए।
यह सब कुछ नहीं होता अगर गैस पीड़ितों को एक सशक्त आंदोलन अस्तित्व में होता। भोपाल की गैस पीड़ित आम जनता को यदि सही तरह से संगठित किया जाता तो ना गैस पीड़ितों में दलाल संगठन पनप पाते, ना राजनैतिक दलों द्वारा मामले को दबाने के प्रयास हो पाते, ना सरकारी मशीनरी को मनमानी करने की छूट मिल पाती और ना ही शासन-प्रशासन के स्तर पर देशदोह श्रेणी का अपराध करने की हिम्मत होती।
चलिये देर से ही सही, सच्चाई सामने तो आई। कांग्रेस को विश्व की सबसे "नीच" राजनैतिक पार्टी यूं ही नहीं कहा जाता है…
जवाब देंहटाएंये सब इंसानियत के गुनेहगार हैं ,सबको सजा मिलेगी उपरवाले के अदालत में ,जिसने भी इंसानियत को बेचकर पैसा बनाने या अपने असल कर्तव्य के प्रति लापरवाही दिखाई है |
जवाब देंहटाएंये सब इंसानियत के गुनेहगार हैं ,सबको सजा मिलेगी उपरवाले के अदालत में ,जिसने भी इंसानियत को बेचकर पैसा बनाने या अपने असल कर्तव्य के प्रति लापरवाही दिखाई है |
जवाब देंहटाएंHonesty जी,
जवाब देंहटाएंऊपर वाले की अदालत में कुछ नहीं मिलेगा इन्हें… इनका फ़ैसला तो इधर ही होना चाहिये…
अफ़ज़ल गुरु को लानत है कि संसद पर उसका हमला कामयाब क्यों नहीं हुआ… कम से कम इन नीचों में से 10-20 तो टपक जाते… :) :)