दृष्टिकोण ब्लॉग में संजीव कृष्ण नाम के कोई सज्जन नहीं हैं।
हमारी बात
समाज की प्रत्येक गतिविधि पर सामाजिक पृष्ठभूमि का गहरा असर रहता है । किसी भी समाज को समझने के लिए हमें उस दौर में प्रचलित शिक्षा, संस्कृति, साहित्य, नाटक, फिल्म, राजनीति, दर्शन, विज्ञान एवं अन्य बहुत सी सामाजिक गतिविधियों का बारीकी से वैज्ञानिक विश्लेषण करना होता है । यह देखना होता है कि जीवन के इन तमाम पहलुओं में चल रहा कारोबार समाज को किस दिशा में ले जा रहा हैं । मनुष्य जब से एक सामाजिक प्राणी बना है तक से ही उसने समाज की गति को समझ कर सामाजिक परिवर्तनों की नींव को पुख्ता करने का गुरुतर कार्य किया है । इसी रास्ते चलते हुए आज हम अपने आप को प्रजातांत्रिक पृष्ठभूमि कि इस कठिन बेला में खड़ा पाते है जहां समाज बार-बार हमें अपनी प्रतिबद्धताओं, कर्तव्यों की ओर दृष्टिपात करने के लिए मजबूर करता रहता है । इसी प्रयास को साकार करने के लिए एवं इस दिशा में जन चेतना जागृत करने के लिए यह प्रयास दृष्टिकोण के माघ्यम से प्रस्तुत है । इस विषय में आपके विचार भी मार्गदर्शन हेतु आमंत्रित है ।
हा हा हा
जवाब देंहटाएंमँहगाई ने लुटा है. हाथ की करामात है. जय हो...
जवाब देंहटाएंहाथ की सफ़ाई है संघी की खिचाई है .
जवाब देंहटाएंअरे यह तो सेन्टी लगती है, जय हो संघी भाई
जवाब देंहटाएंkiya baat hai santa ko tumne bipasa bana rakha hai... or koi nahi mila kya...
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